उच्च जोखिम गर्भावस्था वाली महिलाओं का रखें खास ख्याल 

सुरक्षित संस्थागत प्रसव कराकर जच्चा-बच्चा की जान बचाने पर पूरा जोर 


कानपुर देहात(अमर स्तम्भ)। सेहत की अनदेखी और खून की कमी से महिलाएं हाई रिस्क प्रेग्नेंसी (एचआरपी) की चपेट में आ रही हैं। जिले में सात फीसदी महिलाएं हाई रिस्क प्रेग्नेंसी यानि उच्च जोखिम वाली गर्भावस्था से पीड़ित पाई गई हैं। जिला महिला अस्पताल समेत समस्त स्वास्थ्य केंद्रों में पिछले साल अप्रैल 2019 से दिसंबर 2019 तक जांच में 3722 उच्च जोखिम गर्भावस्था वाली महिलाएं चिन्हित की गईं। इनमें कई एचआरपी वाली महिलाओं का सामान्य प्रसव भी हुआ, मातृ एवं शिशु मृत्यु दर में कमी लाने को लेकर स्वास्थ्य विभाग पूरी तरह संजीदा है। पिछले साल (अप्रैल 2019 से दिसंबर 2019) में  जनपद में सरकारी स्वास्थ्य इकाईयों में जांच के लिए आईं कुल 40,056 गर्भवतियों में 3722 एचआरपी चिन्हित की गईं। इनमें 7 ग्राम से कम हीमोग्लोबिन पाए जाने वाली गर्भवतियों को आयरन सुक्रोज दिया गया। इससे उनके हीमोग्लोबिन में बढ़ोत्तरी हुई, अपर मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ वी पी सिंह का कहना है कि ऐसी महिलाओं का सुरक्षित प्रसव कराना स्वास्थ्य विभाग के लिए बड़ी चुनौती है। इसके बावजूद सामान्य प्रसव के लिए पूरे प्रयास किए जा रहे हैं। इसके लिए रणनीति तैयार की गई है। प्रसव से पहले टीकाकरण के निर्देश दिए गए हैं, जिससे एचआरपी और मातृ एवं शिशु मृत्युदर में कमी लाई जा सके। उन्होंने बताया कि गर्भावस्था के दौरान काफी एहतियात बरतने की जरूरत होती है। लापरवाही की वजह से महिलाएं हाई रिस्क प्रेग्नेंसी की चपेट में आ जाती हैं। इस दौरान हीमोग्लोबिन का स्तर 5 ग्राम से कम रह जाता है, जबकि महिलाओं में इसका लेवल 10 से 12 ग्राम होना चाहिए, जिला मातृ स्वास्थ्य परामर्शदाता स्वतंत्र  प्रताप सिंह ने बताया कि गर्भवती महिलाओं में खून की कमी को पूरा करने के लिए आयरन और कैल्शियम की दवाओं के बाद अब आयरन सुक्रोज इंजेक्शन लगाया जाता है। गर्भवती महिला यदि 7 ग्राम से कम खून मिलता है तो यह इंजेक्शन लगाकर खून की पूर्ति की जाती है। उन्होंने बताया कि आयरन सुक्रोज शरीर के रसायनों के साथ प्रतिक्रिया करते हुए शरीर में अवशोषित हो जाता है और शरीर में लौह तत्त्व के निम्न स्तरों में शामिल हो जाता है। यह शरीर में आयरन के भंडार को बहाल करता है जिससे अधिक लाल रक्त कोशिकाएं बनाने में मदद मिलती है।


यह है हाई रिस्क प्रेग्नेंसी



अगर किसी गर्भवती महिला को खून की कमी है, गर्भधारण के बाद हाई ब्लड प्रेशर, थायरॉयड और अधिक उम्र में गर्भधारण या वह शुगर से पीड़ित है, इसके अलावा पूर्व में ऑपरेशन से डिलिवरी समेत 14 से ज्यादा ऐसे मामले हैं जिनकी वजह हाई रिस्क प्रेग्नेंसी होती है। ऐसी महिलाओं को हाई रिस्क प्रेग्नेंसी (एचआरपी) की श्रेणी में रखा जाता है, और इन चिन्हित महिलाओं पर स्वास्थ्य विभाग की भी नजर रहती है ताकि सुरक्षित प्रसव कराकर माँ-बच्चे की जान बचायी जा सके ।


खून की कमी को न करें  नजरंदाज



जिला महिला चिकित्सालय मुख्य चिकित्सा अधीक्षका डॉ अर्चना श्रीवास्तव ने बताया कि एनीमिया या खून की कमी वह स्थिति है जिसमें आपके रक्त में हीमोग्लोबिन का स्तर सामान्य से कम हो जाता है। ज्यादातर महिलाएं प्रेग्नेंसी के दौरान आयरन की गोलियां खाती हैं पर इसके अलावा आपको अपने खान-पान में भी सुधार करना होगा। साबुत अनाज, फल और सब्जियों के रूप में फाइबर युक्त खाद्य पदार्थों का सेवन करें। पूरे गर्भावस्था के दौरान और अतिरिक्त रूप से 760 मिलीग्राम आयरन की जरूरत होती है। मछली, अच्छी तरह से पके अंडे, दाल, हरे पत्तीदार सब्जियां, फलियां, मेवा और अनाज आयरन के अच्छे स्रोत हैं। प्रेग्नेंट महिलाओं को आयरन से भरपूर सब्जियां जैसे हरी गोभी, सूतमूली, टमाटर, मशरूम, चुकंदर, कद्दू, शकरकंदी, सिंहफली और कमल ककड़ी जरूर खानी चाहिए।