कविता
मां

 

नानी ने तुझको

तुने मुझको

मैं ने बिटिया को

जन्म दिया

मां होने के पुन्य मिले

ये सबने है विनय किया

कभी कृष्ण

कभी राम

कभी बुद्ध,महावीर

दिया जन्म धर धीर।

और कभी जन्मा

धरती पर

पांडव योद्धा वीर ।

मां तेरे रहमो से

पल गया कर्ण सुवीर।

किया किसी ने

खूब कलंकित

खींच -खींच कर चीर।

मां चीख चीख कर रोई है

मां सबके अंदर सोई है।

मां के अंदर जो जा्ग रहा

वो दुनिया बडा़ विहाग भरा,

मां के कण कण में कलरव है

कानों में गूंजता पल पल रव है

मां कह दूं ?

या कह दूं ममता की छांव,

दर दर भटक भटक मै

जब भी हुई निराश।

ठौर ठिकाने मिले न कोई,

मिला एक ही ठांव।

मां !मां! मा!मां!ही चिल्लाई,

जब इस दुनिया में आई।

चुपके से तेरी लोरी,

मेरै कानों में आई..................?

 


लता प्रासर

पटना बिहार

7277965160