जब तक नभ में चांद रहेगा चंद्रयान तेरा नाम रहेगा
चंद्रयान-2 की ये आंशिक असफलता असफलता नहीं ये गहन अध्ययन का विषय बन गया है "ये चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर संभावित एलियन्स या किसी अन्य शक्ति का हस्तक्षेप भी हो सकता है"
"चंद्रयान-1 की सफलता के बाद हमारे देश के महान वैज्ञानिकों द्वारा शुरू किए गए महा
अभियान चन्द्रयान-2 की अंतिम आंशिक असफ़लता को किसी मायने में असफ़लता नही कहा जा सकता है,गौरवशाली हैं हमारे देश के अत्यंत प्रतिष्ठित अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन "इसरो" के वैज्ञानिक व उसके सहयोगी विभाग जिनके संरक्षण में चंद्रयान-2 अभियान की कार्ययोजना बनाई गई व उसे सफलतापूर्वक संचालित किया गया,अभियान चंद्रयान-2 कोई साधारण अभियान नहीं है,चंद्रयान-2 की इस अंतिम चरण की महायात्रा की आंशिक असफलता से हमें और हमारे देश के वैज्ञानिकों,देश वासियों को कदापि दिल छोटा करने की आवश्यकता नहीं है, क्यों कि यह अभियान अपने तरह का प्रथम अभियान है,वह इसलिए कि अब तक विश्व के किसी भी देश ने चंद्रमा के उस भू भाग पर जाने का साहस नहीं दिखा पाया था,जहां भारत ने अपने साहसिक कदम रख दिए हैं , चंद्रयान-1 के बाद भारत का यह दूसरा चन्द्र अन्वेषण अभियान है,जिसे भारतीय अंतरिक्ष अनुसन्धान संगठन (इसरो) ने विकसित किया है,इस अभियान को जीसएलवी संस्करण 3 प्रक्षेपण यान द्वारा 22 जुलाई 2019 को 02:41प्रक्षेपित किया गया था, इस महाअभियान में भारत निर्मित एक चंद्रकक्षयान, एक रोवर एवं एक लैंडर शामिल हैं। इन सब का क्रमिक विकास इसरो द्वारा ही किया गया है,पहले इसका प्रक्षेपण 14 जुलाई को निर्धारित किया गया था पर कुछ तकनीकी कारणों से इसका प्रक्षेपण 22 जुलाई2019 को किया गया, चंद्रयान-2 लैंडर और रोवर को चंद्रमा पर लगभग 70° दक्षिण के अक्षांश पर स्थित दो क्रेटरों मज़िनस सीऔर सिमपेलियस एन के बीच एक उच्च मैदान पर उतरना था जिसके तहत रोवर को चंद्रमा की चन्द्रमा की सतह पर चल कर विश्लेषण के लिए मिट्टी या चट्टान के नमूनों को चन्द्रयान-2 कक्षयान के माध्यम से पृथ्वी पर भेेजना था, सूत्रों के अनुसार 12 नवम्बर 2007 को इसरो और रूसी अंतरिक्ष एजेंसी (रोसकोसमोस) के प्रतिनिधियों ने चंद्रयान-2 परियोजना पर साथ काम करने के एक समझौते पर हस्ताक्षर किए थे ऑर्बिटर तथा रोवर की मुख्य जिम्मेदारी इसरो की थी,भारत सरकार ने 18 सितंबर 2008 को प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह की अध्यक्षता में आयोजित केन्द्रीय मंत्रिमंडल की बैठक में इस अभियान को स्वीकृति दी थी, अंतरिक्ष यान के डिजाइन को अगस्त 2009 में पूर्ण कर लिया गया जिसमे दोनों देशों के वैज्ञानिकों ने अपना संयुक्त योगदान दिया था, इसके बाद इसरो ने चंद्रयान -2 के निर्धारित कार्यक्रम के अनुसार पेलोड को अंतिम रूप दिया था, पहले जनवरी 2013 में स्थगित कर दिया गया, तथा अभियान को 2016 के लिये पुनर्निर्धारित किया। क्योंकि रूस लैंडर को समय पर विकसित करने में असमर्थ था, रोसकोसमोस को बाद में मंगल ग्रह के लिए भेज़े फोबोस-ग्रन्ट अभियान मे मिली विफलता के कारण चंद्रयान -2 कार्यक्रम से अलग कर दिया गया, जिसके बाद भारत ने चंद्रयान अभियान को स्वतंत्र रूप से विकसित करने का फैसला किया था, करीब 978 करोड़ रुपये लागत वाले इस महत्वपूर्ण महा अभियान के तीन भाग थे जिसमें चंद्रकक्ष यान आर्बिटर पेलोड वजन 2379 किलोग्राम,विक्रम लैंडर 1471 किलोग्राम, व प्रज्ञान रोवर जिसका वजन 27 किलोग्राम था, इस तरह हमारे देश के जांबाज वैज्ञानिकों ने अपने अथक परिश्रम से चंद्रयान-2 को सफलतापूर्वक लक्ष्य तक पंहुचाया क्या यह किसी सफलता से कम है,सच तो यह है कि चंद्रयान-2 महा अभियान के अंतिम परिणाम में आई बाधा भी हमारे लिए एक नये अन्वेषण का विषय हो सकती है,हम स्व विवेक के दावे से कह सकते हैं कि यह हमारे देश के वैज्ञानिकों की नाममात्र नाकामी नहीं है,और यकीन है कि चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर रखे गए हमारे कदमों को रोकने का प्रयास वहां के एलियंस या स्थानीय शक्तियों का परिणाम हो,यह इसलिये असंभव नहीं है क्यों कि एक तो चंद्रमा हमारी पृथ्वी का भाग है और उसकी संरचनाओं में भी समानता है,चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव में उत्तरी ध्रुव की अपेक्षा जल या जीवन संभव हो सकता है,इसलिये हमारे देश के वैज्ञानिकों को अपनी आंशिक असफलता से कतई निराश होने की आवश्यता नहीं है,उन्हें इस पर और दृढ़ विश्वास और संकल्प से काम लेने की आवश्यकता है,सारा देश आपके साथ है, तुमने देखा तुम्हारी महान सफलता पर हमारे देश के श्रद्धेय प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जी ने "इसरो" प्रमुख के.सिवन को कैसे गले लगाकर हौसला बढ़ाया, ऐसे ही सारा देश आप सारे वैज्ञानिकों का हौसला बढ़ाता है।
किसी कार्य में असफल होकर, कभी न मानव तुम घबराना ! बन कर्मवीर संघर्ष किये जा, श्रम तेरा फल-दान विराना !!
कोई कर्म महान निरख कर, नांम मात्र आकुल मत होना! कोई जग में कर्म नहीं है, कर न सको व्याकुल मत होना!!
घनश्याम सिंह यादव (वरिष्ठ पत्रकार एवं लेखक)