आश्रम में सेवा-पिछले जन्म के कर्म

मथुरा(अमर स्तम्भ)। पुरानी बात है आश्रम मे सीवरेज का काम चल रहा था, जत्था सेवा के लिए बुलाया गया खुदाई का काम चल रहा था। सारा जतथा सेवा मे लगा हुआ था, पास ही दीवार पर बैठा एक आदमी सारी संगत को मस्ती मे सेवा करता देख रहा था उसके मन मे सेवा का विचार आया, उसने जतथेदार से जा कर कहा मुझे भी सेवा करनी है, वह सेवा करने लग पडा, खूब दिल लगाकर सेवा की। इस तरह सेवा करते हुए आठ दिन बीत गये आठवे दिन उसने जतथेदार से कहा, मुझे एक घंटे की छुटटी चाहिऐ ताकि मै अपने कपडे धो सकू। वह साबुन लेने गया तो लाइन काफी लंबी थी वह दूसरी लाइन मे गया वहा पर भी लंबी लाइन थी, कभी वह इधर जाता तो कभी उधर। यह सब कुछ एक सेवादार देख रहा था उसे वह जेब कतरा लगा, सेवादार ने सीकोरिटी वालो को बुला लिया। वह उस आदमी को पकड कर जेल मे ले गये और उलटा लटका दिया, तभी जतथेदार को किसी ने बताया कि आपके आदमी को पकड कर ले गये है जत्थेदार भागा भागा गया और सारी बात बताई कि यह तो हमारे साथ सेवा कर रहा था । अपने कपडे धोने के लिए छुटटी लेकर गया था, उसे छोड दिया गया।
वह रोने लगा और बोला मै जा रहा हू, यहा नही रहूगा। सभी लोगो ने समझाया कि इस समय कोई साधन नही मिलेगा। वह बडी मुशिकल से माना। रात को जब सभी भजन पर बैठे थे तो वह आखे बंद करके सोच रहा था कि आज उसके साथ कया हुआ और कयो हुया। वह बहुत डरा हुआ था। तभी बडे बाबाजी उसके सामने आये और बोले कि तुमने बैक मे बहुत हेरा फेरी की है। उसके लिए तुमहे आठ साल जेल की सजा मिलनी थी पर तुमने आठ दिन सेवा की। तुमहारी आठ साल की कैद आठ दिन की  सेवा करने से मालिक ने खतम कर दी । तुमहे उलटा लटका कर कोडे लगने थे  परंतु मालिक ने उस सजा को कम करके सिरफ पाच मिनट कर दिया। यह सब सेवा करने से हुआ है तुम कयो डर रहे हो मालिक ने तुम पर दया की है। यह कह कर बाबाजी आलोप हो गये। उस ने यह सारी बात जतथे वालो को बताई। वह रोने लगा और जतथेदार को कहने लगा कि अब मैने आठ दिन ओर सेवा करनी है। बाबाजी कहते है कि सेवा करने से हमारे पिछले करम हलके होते है और हम भजन सुमिरन मे तरककी करते है। इस लिऐ जब भी सेवा करने का मौका मिले तो उसका फायदा उठाए। शाकाहारी होजाए , जीवो पर दया करे।  
          
                     जय गुरु देव