महान भारत की महान लौह नारी "इंदिरा गांधी" का बलिदान सदियों तक याद किया जायेगा

"हमारे देश की पूर्व प्रधानमंत्री परम श्रद्धेय स्वर्गीय इंदिरागांधी जिनको आज के ही दिन पैंतीस वर्ष पूर्व 31.10.1984 को  "राष्ट्र रक्षा" के अपराध के लिए शहीद कर दिया गया था,उनके इस महा बलिदान के लिए उन्हें सदैव याद किया जाएगा," महान देशभक्त 'लौह नारी' इंदिरा गांधी का जन्म 19 नवम्बर, 1917 को उप्र के इलाहाबाद स्थित आनंद भवन में एक सम्पन्न कश्मीरी ब्राह्मण परिवार में हुआ था। पिता जवाहरलाल नेहरू ने इनका  नाम 'इंदिरा प्रियदर्शनी गाँधी' रखा था इनके पिता का नाम जवाहरलाल नेहरू स्वतंत्र भारत के प्रथम प्रधानमंत्री थे इनके बाबा(दादा)  मोतीलाल नेहरू थे, विश्व प्रसिद्ध "इंदिरा गांधी" भारतीय इतिहास की एक शसक्त महिला थीं वह भारत की तीसरी प्रधानमंत्री थीं. इंद्रा जी सन 1966 से 1977 तक प्रधानमंत्री के रूप में कार्यरत रहीं उनके राजनीतिक सफर में उन्हें कई बड़े झंझावातों से जूझना पड़ा,जिसके फलस्वरूप उन्हें  1975 से 1977 तक भारत में आपातकाल भी लगाना पड़ा, जिसका उन्हें भारी विरोध झेलना पड़ा, इंद्रा जी  भारत की दूसरी ऐसी प्रधानमंत्री थी, जिन्होंने लंबे समय तक प्रधानमंत्री पद पर कार्य किया, इंद्रा गांधी की माता कमला नेहरू एक कुशल गृहणी थीं उन्होंने भी प्रत्यक्ष व परोक्ष रूप से पति जवाहरलाल नेहरू व  मोतीलाल नेहरु के स्वतंत्रता संग्राम में खुलकर सहयोग किया था, इंदिरा गांधी के परिवार से राष्ट्रपिता महात्मा गांधी का जी का करीबी सम्बन्ध था,  इंदिरा अपने माता – पिता की अकेली  संतान थीं,इसलियेे उन्हें बड़े दुलार से पाला गया था, इंदिरा गांधी गांधी  एक कुशल राजनीतिज्ञ,दृढ़ प्रतिज्ञ  महिला के रूप में जाना जाता है, भारत, स्विट्ज़रलैंड और इंग्लैंड  में उन्होंने पढ़ाई  की, उनकी प्रारंभिक शिक्षा इलाहाबाद के सेंट मैरी'स क्रिस्चियन कान्वेंट स्कूल में हुई. इसके बाद उन्होंने पुणे विश्वविद्यालय से मैट्रिक की पढ़ाई पूरी की, इसके बाद पश्चिम बंगाल के शान्तिनिकेतन में विश्व भारती विश्वविद्यालय में भी पढ़ीं,उसी समय उनकी माता का स्वास्थ्य खराब हो गया और उन्हें बीच में अपनी पढ़ाई छोड़नी पड़ी,  सन 1936 में इनकी माँ कमला नेहरू की तपेदिक बीमारी के चलते मृत्यु हो गई, जब उनकी माता कमला नेहरू की मृत्यु हुई, उस समय  पिता जवाहरलाल नेहरु  जेल में थे,माता के निधन के महान दुख के बावजूद उन्होंने अदम्य साहस से काम लेकर आगे की शिक्षा जारी रखने के लिए इंग्लैंड गईं, इंदिरा गांधी  ने सन 1942 में फिरोज गांधी के साथ विवाह किया वे गुजरात के पारसी परिवार से  थे,  बताया जाता है कि ये दोनों लोग बचपन के सहपाठी थे, जब वे इलाहाबाद में रहते थे. इसके बाद जब वे पढ़ाई के लिए ब्रिटेन के लंदन स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स में गये,वहां उनकी और नजदीकियां बढ़ गईं,और बात शादी तक जा पंहुची,पहले इंदिरा गांधी के पिता जवाहरलाल नेहरु  फिरोज खान से शादी के लिए राजी नहीं थे पर ग़ांधी जी व कई अन्य सहयोगियों की सहमति के बाद उन्होंने इस रिश्ते को मंजूरी दे दी, इंदिरा गांधी  एवं फिरोज गांधी  से  सन 1944 में राजीव गांधी  और  सन 1946 में संजय गांधी हुए, आगे 8 सितंबर, 1960 क गिरफ्तारी के बाद फिरोज गांधी की मृत्यु हो गई,इससे इंदिरा गांधी को बहुत आघात हुआ पर वे विचलित नहीं हुईं,विरासत में मिली राजनीति के चलते सन 1955 में इंदिरा गांधी सक्रिय राजनीति में शामिल हो गई थी, आजादी के बाद इंदिरा गांधी  के पिता भारत के पहले प्रधानमंत्री बने और उसके बाद वे अपने पिता व अपने दोनों बेटों के साथ दिल्ली चली गई, परंतु उनके पति उनके साथ नहीं गए, वे इलाहाबाद में ही 'द नेशनल हेराल्ड' समाचार पत्र के सम्पादक के रूप में काम करते रहे थे, नेशनल हेराल्ड को  मोतीलाल नेहरु द्वारा स्थापित किया गया था,सन 1959 में इंदिरा गांधी  को कांग्रेस पार्टी का अध्यक्ष  चुना गया. ये जवाहरलाल नेहरु जी के राजनीतिक सलाहकारों में से एक थी. 27 मई, 1964 को जवाहर लाल नेहरु की मृत्यु हो जाने के बाद इन्होने चुनाव में खड़े होने का फैसला किया, और अंततः वे चुनाव जीत गई. उन्हें उस समय के तत्कालिक प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री जी ने सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय के प्रभारी के रूप में नियुक्त किया. ऐसा माना जाता है कि ये राजनीति की कला एवं छवि में बहुत कुशल थी. इनकी सन 1965 के भारत – पाकिस्तान युद्ध के दौरान हुई एक घटना द्वारा पुष्टि की गई. जब यह युद्ध चल रहा था, उन समय इंदिरा गांधी  श्रीनगर की यात्रा पर गई. सुरक्षा बलों द्वारा चेतावनी के बावजूद भी पाकिस्तानी विद्रोहियों ने होटल के बहुत करीब प्रवेश कर लिया था जहाँ वे रुकी हुई थी, किन्तु उन्होंने वहां से हटने से इनकार कर दिया, सन 1966 में लाल बहादुर शास्त्री  की अचानक मृत्यु हो जाने के बाद  सन 1969 में कांग्रेस पार्टी ने उन्हें देश की पहली महिला प्रधानमंत्री के रूप में कार्यभार संभालने के लिए चुना. प्रधानमंत्री के रूप में इंदिरा गांधी ने कुछ महत्वपूर्ण कदम उठाये,उनका 14 प्रमुख कमर्शियल बैंकों का राष्ट्रीयकरण  कदम बहुत उपयोगी साबित हुआ, इससे घरेलू क्षेत्रों से बचत, कृषि क्षेत्र में निवेश और छोटे एवं मध्यम आकार के उद्यमों में वृद्धि हुई,1971 का पाकिस्तान भारत युद्ध व बंगला देश की मुक्ति उनका वैश्विक कार्य साबित हुआ,पाकिस्तान के खिलाफ युद्ध के बाद सन 1971 के तेल संकट के दौरान इंदिरा गांधी ने तेल कंपनियों को राष्ट्रीयकृत किया, जिसमें हिंदुस्तान पेट्रोलियम कारपोरेशन, इंडियन आयल कारपोरेशन और भारत पेट्रोलियम कारपोरेशन जैसी तेल कंपनियों का गठन हुआ, इसके अलावा उनकी प्रशासनिक नीति के तहत मेघालय, त्रिपुरा, मणिपुर, हरियाणा, हिमाचल प्रदेश और पंजाब को राज्य घोषित किया गया था,सन 1971 के चुनावों के बाद विपक्षी दलों ने उन्हें अनुचित साधनों का उपयोग करने का दोषी ठहराया था. इलाहाबाद उच्च न्यायालय में उनके खिलाफ मामला दर्ज किया गया, जिसमें उन्हें दोषी पाया गया. जून सन 1975 को अदालत ने उन्हें अगले 6 वर्षों तक चुनाव से प्रतिबंधित कर दिया. उस समय देश में पाकिस्तान के खिलाफ युद्ध, हमले, राजनीतिक विरोध और परेशानी का सामना करने की उथल – पुथल मची हुई थी. इस स्थिति को रोकने के लिए भारत के उस समय के तत्कालीन राष्ट्रपति ने आपातकाल स्थिति घोषित करने की सलाह दी. यह स्थिति लगभग 2 वर्षो तक चली इससे उनके पास देश में शासन करने, चुनावों और अन्य सभी नागरिक अधिकारों को निलंबित करने की शक्ति आ गई,आपातकाल की स्थिति के दौरान, पूरा देश केंद्र सरकार के शासन में आ गया. इस दौरान उन्होंने अपने राजनीतिक दुश्मनों को कैद कर लिया, नागरिकों के संवैधानिक अधिकारों को रद्द कर दिया गया. गांधीवादी सामाजिक महिला, जय प्रकाश नारायणऔर उनके समर्थकों ने भारतीय समाज को बदलने के लिए अहिंसक क्रांति में बच्चों, किसानों और श्रम संगठनों को एकजुट करने की मांग की थी. लेकिन उसे ख़ारिज करते हुए उन्हें गिरफ्तार कर जेल में डाल दिया गया. उनके बेटे ने भी देश को अपने हिसाब से चलाना शुरू कर दिया था. झोपड़ी में रहने वाले लोगों को कठोरता के साथ हटाने का आदेश दिया. इसके अलावा उन्होंने एक नसबंदी कार्यक्रम शुरू किया, जिसमें लोगों को नसबंदी के लिए मजबूर किया गया. इसका उद्देश्य भारत की बढ़ती आबादी को रोकना था,सन 1977 में इंदिरा गांधी गांधी ने विपक्ष के गठबंधन को तोड़कर चुनाव की मांग की. यह गठबंधन मोरारजी देसाई और जय प्रकाश नारायण के नेतृत्व में किया गया था. इन सभी कारणों के चलते पिछली लोकसभा में 350 सीटों की तुलना में कांग्रेस केवल 153 लोकसभा सीटें जीतने में कामयाब रही. इस तरह से उनके विपक्ष के रूप में भूमिका निभाने के कारण उनकी सत्ता गिर गई. इंदिरा गांधी  एवं उनके बेटे संजय गांधी  दोनों अपनी सीटें हार गये,देश में आपातकाल की स्थिति के कारणभारतीय जनता पार्टी और कांग्रेस के बीच काफी मतभेद चल रहा था. संसद से इंदिरा गांधी  को निष्कासित करने के प्रयासों में, जनता सरकार ने उन्हें गिरफ्तार करने के लिए कहा. हालाँकि उनकी रणनीति विफल रही और इंदिरा गांधी  को उन लोगों से सहानुभूति प्राप्त हुई, जिन्होंने उन्हें 2 साल पहले हटाने की मांग की थी. सन 1980 के चुनावों में कांग्रेस की पूर्ण बहुमत के साथ जीत हुई और इन्हें भारत के प्रधानमंत्री के रूप में पदभार संभालने का दोबारा मौका मिला. उनके इस कार्यकाल के दौरान पंजाब की राजनीतिक समस्याओं को कम करने के लिए ध्यान दिया गया,सन 1983 में जर्नल सिंह भिंडरावाले और उनकी सेना ने अलगाववादी आंदोलन शुरू किया और यह आंदोलन अमृतसर के स्वर्ण मंदिर में सिखों के लिए पूजा की जगह पर किया गया, जिसे सबसे पवित्र माना जाता है. वहां की स्थिति बिगड़ने लगी थी. इस आतंकवादी स्थिति को नियंत्रित करने और उसे रोकने के लिए उस परिसर में हजारों नागरिकों की उपस्थिति के बावजूद इंदिरा गांधी  ने सेना का ऑपरेशन ब्लू स्टार शुरू करने का फैसला किया. सेना ने टैंक और तोपों सहित भारी तोपखानों का सराहा लिया. इस आतंकवादी खतरे को कम करने के कारण इससे कई नागरिकों के जीवन की हानि और मंदिर को काफी नुकसान हुआ. इस अधिनियम को भारतीय राजनीतिक इतिहास में एक अद्वितीय त्रासदी के रूप में देखा गया था. इससे देश में तनाव शुरू हो गया, सिख समुदाय ने इसे अपना अपमान मानते हुए उसकी कड़ी निंदा की. कई सिखों ने अपने सरकारी कार्यालयों से इस्तीफा दे दिया और अपने सभी सरकारी पुरस्कार भी वापस कर दिए. इससे इंदिरा गांधी  की छवि काफी खराब हुई, 31.10.1984 का वह काला दिन जब इंदिरा गांधी को उनके ही अंग रक्षकों ने मिलकर  उनपर स्वचालित हथियारों से 31 गोलियां बरसा कर उनकी हत्या कर दी,ये दोनों अंगरक्षक सतवंत सिंह और बेअंत सिंह थे,जिन्होंने ऑपरेशन ब्लू स्टार  का बदला लेने के इस जघन्यतम कांड को अंजाम देकर एक महानतम राजनीतिज्ञ महापुरुष का अंत कर दिया,ऐसी महान महिला को युगों-तक याद किया जाएगा, बलिदान दिवस पर परमश्रद्धेय इंदिरा गांधी जी को सहस्त्र नमन,माँ सरस्वती को मेरी कलम में प्रतिष्ठापित कराने के महायोगदान का हे महामना मैं तेरा सदैव ऋणी रहूंगा,


"सच्ची थीं इंद्रा महारानी, वह वीर जवाहर की बेटी थीं।     भारत में ही जन्म लिया था, भारत में खेली लेटी थीं।     भारत में पलकर बड़ी हुईं, भारत की गद्दी पर बैठीं।         अपनाया तुमने शांति भाव, शांति मार्ग पर सदा चलीं।     शांति भाव से सदा रहीं तुम, शांति भाव से सदा लड़ीं।     नहीं किसी से तुम्हें बैर था, तन मन से प्रिय स्वदेश था।   इसी प्रेम से शासन कर, अन्याय कुचलती चली गईं।       किया राज्य साहस से हरदम, इतिहास बनाकर चली गईं। भारत मां को छोड़ अकेला,  भारत मां तुम चलीं गईं।