बालिका शिक्षा सशक्तिकरण  हेतु प्रशिक्षण शिविर आयोजित

औरैया(अमर स्तम्भ)। जनपद के कस्बा दिबियापुर में 
बालिका शिक्षा के सशक्तिकरण हेतु जनपद स्तरीय संदर्भ दाताओं का त्रिदिवसीय प्रशिक्षण आयोजित किया गया। ला बेसिक शिक्षा अधिकारी एस०पी०सिंह ,सुधीर कुमार गुप्ता (ख० शि ० अ०) , व बालिका शिक्षा -जिला समन्वयक कप्तान सिंह के सयुंक्त निर्देशन में पूर्वमाधयमिक विद्यालय दिबियापुर में दिनांक 2 दिसंबर से चल रहे बालिका शिक्षा के सशक्तिकरण हेतु जनपद स्तरीय संदर्भ दाताओं का त्रिदिवसीय प्रशिक्षण शिविर की प्रशिक्षण प्रभारी महिन्द्र पाल सिंह गौर (प्र०अ०)मिडिल स्कूल दिबियापुर ने  अध्यक्षता की,इस मौके पर राज्य स्तरीय संदर्भ दाता  अल्का यादव (एस०आर०जी०) व सुनील दत्त राजपूत(एस०आर०जी०) औरैया ने कुशलता पूर्वक प्रशिक्षण प्रदान किया। प्रशिक्षण के दौरान संदर्भताओं ने  अरमान माड्यूल की सहायता से किशोर किशोरियों के जीवन कौशल शिक्षा को  सशक्त बनाने के लिए विभिन्न महत्वपूर्ण टिप्स प्रदान किए गए जैसे महिला सशक्तिकरण को बेहद आसान शब्दों में परिभाषित किया जा सकता है कि इससे महिलाएं शक्तिशाली बनती है जिससे वह अपने जीवन से जुड़े हर फैसले स्वयं ले सकती है और परिवार और समाज में अच्छे से रह सकती है। समाज में उनके वास्तविक अधिकार को प्राप्त करने के लिए उन्हें सक्षम बनाना महिला सशक्तिकरण है। इसमें ऐसी ताकत है कि वह समाज और देश में बहुत कुछ बदल सके। वह समाज में किसी समस्या को पुरुषों से बेहतर ढंग से निपट सकती है। विकास की मुख्यधारा में महिलाओं को लाने के लिये भारतीय सरकार के द्वारा कई योजनाएं चलाई गई हैं। भारत में महिलाओं की आधी अवादी है और विश्व बैंक की एक रिपोर्ट के अनुसार अगर महिला श्रम में योगदान दे तो भारत की विकास दर दहाई की संख्या में होगी। फिर भी यह दुर्भाग्य की बात है कि सिर्फ कुछ लोग महिला रोजगार के बारे में बात करते हैं जबकि अधिकतर लोगों को युवाओं के बेरोजगार होने की ज्यादा चिंता है। हाल ही में प्रधानमंत्री की 'आर्थिक सलाहकार परिषद' की पहली बैठक में 10 ऐसे प्रमुख क्षेत्रों की चिह्नित किया गया जहां ज्यादा ध्यान देने की जरूरत है। दुर्भाग्य की बात यह है कि महिलाओं का श्रम जनसंख्या में योगदान तेजी से कम हुआ है। यह लगातार चिंता का विषय बना हुआ है। लेकिन फिर महिला रोजगार को अलग श्रेणी में नहीं रखा गया है नेशनल सैंपल सर्वे (68 वां राउंड) के अनुसार 2011-12 में महिला सहभागिता दर 25.51% थी जो कि ग्रामीण क्षेत्र में 24.8% और शहरी क्षेत्र में मात्र 14.7% थी। जब रोजगार की कमी है तो आप महिलाओं के लिए पुरुषों के समान कार्य अवसरों की उम्मीद कैसे कर सकते हैं? एक पुरुष ज्यादा समय तक काम कर सकता है उसे मातृत्व अवकाश की जरूरत नहीं होती है और कहीं भी यात्रा करना उसके लिए आसान होता है निर्माण कार्यों में महिलाओं के लिए पालना घर या शिशुओं के लिए पालन की सुविधा मुहैया कराना जरूरी होता है। ऐसे कई कारण हैं जिनसे भारत की महिला श्रमिक सहभागिता दर्ज में पिछले कुछ वर्षों में गिरावट आई है और यह दर दक्षिण एशिया में पाकिस्तान के बाद सबसे कम है। नेपाल , भूटान और बांग्लादेश में जनसंख्या के अनुपात के अनुसार महिला रोजगार ज्यादा है। इन क्षेत्रों के पुरुष काम करने के लिए भारत आते हैं और उनके पीछे महिलाएं अपने परिवार के भरण-पोषण के लिए खेतों में काम करती है। भारत के सकल घरेलू उत्पाद (GDP) मैं महिलाएं मात्र 17% का योगदान दे रही है। अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) के अनुसार क्रिसटीन लगार्डे का कहना है कि ज्यादा से ज्यादा महिलाएं अगर श्रम में भागीदारी करे तो भारत की GDP 27% तक बढ़ सकती है।
महिला सशक्तिकरण के लिए दिए गए अधिकार 
समान वेतन का अधिकार - समान पारिश्रमिक अधिनियम के अनुसार अगर बात वेतन या मजदूरी की हो तो लिंग के आधार पर किसी के साथ भी भेदभाव नहीं किया जा सकता, वर्किंग प्लेस में उत्पीड़न के खिलाफ कानून - यौन उत्पीड़न अधिनियम के तहत आपको वर्किंग प्लेस पर हुए यौन उत्पीड़न के खिलाफ शिकायत दर्ज कराने का पूरा हक है। केंद्र सरकार ने भी महिला कर्मचारियों के लिए नए नियम लागू किए हैं, जिसके तहत वर्किंग प्लेस पर यौन शोषण के शिकायत दर्ज होने पर महिलाओं को जांच लंबित रहने तक 90 दिन का पैड लीव दी जाएगी, कन्या भ्रूण हत्या के खिलाफ अधिकार - भारत के हर नागरिक का यह कर्तव्य है कि वह एक महिला को उसके मूल अधिकार 'जीने के अधिकार' का अनुभव करने दें। गर्भाधान और प्रसव से पूर्व पहचान करने की तकनीक लिंग चयन पर रोक अधिनियम (PCPNDT) कन्या भ्रूण हत्या के खिलाफ अधिकार देता है।
संपत्ति पर अधिकार हिंदू- उत्तराधिकारी अधिनियम के तहत नए नियमों के आधार पर पुश्तैनी संपत्ति पर महिला और पुरुष दोनों का बराबर हक है। गरिमा और शालीनता के लिए अधिकार - किसी मामले में अगर आरोपी एक महिला है तो उस पर की जाने वाली कोई भी चिकित्सा जांच प्रक्रिया किसी महिला द्वारा या किसी दूसरी महिला की उपस्थिति में ही की जानी चाहिए, अरमान माड्यूल में २०किशोर किशोरियों व  ९सत्र अभिभावकों के लिए वर्णित है अतः आज खुले मंच पर अभिभावक बच्चों व शिक्षकों के बीच संवाद स्थापित हुआ।जिसमें एक दूसरों के कमियों में सुधार किया गया ।इस अवसर पर मिडिल स्कूल के बच्चों के अभिभावकों में श्रीमती सुमन देवी,मीरा देवी,सीता देवी,बहबून खातून एवं ओमप्रकाश जी ने प्रतिभाग कर अभिभावक जागरूकता को बताया। विभिन्न वि. ख़. से जिलास्तरीय संदर्भ दाता  प्रहलाद कुमार सविता(स०अ०),  पूजा यादव, रानी यादव, वंदना यादव, पूनम द्विवेदी, प्रीति त्रिपाठी, के.के.यादव, देवेन्द्र सिंह भदौरिया, गुंजन शुक्ला, प्रदीप कुमार, दिनेश कुमार, रजनारायान, मीना कुमारी व राघवेन्द्र सिंह ने प्रतिभाग किया, ये अपने अपने विकास खंड में सुगमकर्ताओं को प्रशिक्षण प्रदान करेंगे। त्रिदिवसीय प्रशिक्षण के सफलतापूर्वक संचालन में  लोकेश कुमार शुक्ला (पूर्व वरिष्ठ सह समन्वयक ) ने सहयोग प्रदान किया। रोलप्ले  व गीत के माध्यम से सामाजिक कुरीतियों को दूर कैसे किया जाए?बताया गया, अंत में जिले के बहुत ही सक्रिय शिक्षक भाई के०के०सिंह ने गीत के माध्यम से नारी पीड़ा को बताया एवं राज्य संदर्भ समूह सदस्य सुनील दत्त राजपूत ने प्रशिक्षण में पधारे हुए सभी अभिभावकों व जिला स्तरीय संदर्भ दाताओं का आभार व्यक्त किया।