बलात्कार के बदले अब फासी से भी निर्मम सजा का प्रावधान होना चाहिए
कानपुर(अमर स्तम्भ)। अगर बलात्कार करने के बाद बलात्कारी मासूम सी लड़की को मार सकता है तो उस बलात्कारी को फांसी की सज़ा ही अब काफी नही है, बलात्कारियों के शरीर पर ज़ख्म देकर, उनके शरीर में चीर फाड़ कर के उन्हें ऐसी सजा देनी चाहिए जिससे हमारे समाज की बेटियां सुरक्षित महसूस हो सके, अख़बार के किसी भी पन्ने को खोल कर देख लो, हर रोज़ किसी ना किसी मासूम लड़की के बलात्कार की खबर छपी होगी। जबतक बलात्कारियों को दण्ड नहीं दिया जाएगा जब तक उनके हौसले दिन पर दिन बुलंद होते रहेंगे और ऐसी घटनाएं रोज बस अखबारों की खबर तक ही सीमित रह जाएगी । जबतक सरकार ऐसे विषयों पर कोई कठोर निर्णय नहीं लेगी तबतक ये देश एवं समाज पर इसी तरह धब्बे लगते रहेंगे, ये बातें स्टेप एचबीटीआई में हो रही दो दिवसीय राष्ट्रीय स्तर के सेमिनार (अंतिम दिन) में कहीं गई ; इस सेमिनार का शीर्षक "लॉ एंड मैनेजमेंट" था, इस सेमिनार का उद्देश्य छात्रों को लॉ एवम् प्रबंधन से संबंधित चीज़ों से रूबरू करना था। कार्यक्रम के दूसरे सेशन में विभिन्न प्रतिष्ठित संस्थानों से आए शिक्षकों व छात्रों ने अपने रिसर्च पेपर प्रस्तुत किए । एक्सिस कॉलेज, एम.पी.ई. सी., एलेनहाउस, लखनऊ यूनिवर्सिटी, इलाहाबाद यूनिवर्सिटी, शुआत्स (इलाहबाद), एमिटी (लखनऊ), आई. एम. एस (गाजियाबाद) से शिक्षकों व छात्रों ने विभिन्न विषयों पर अपने रिसर्च पेपर प्रस्तुत किए। सेमिनार के दूसरे दिन कि शुरुआत स्पीकर डॉ ०आर० के मुरली ( फैकल्टी ऑफ लॉ डिपार्टमेंट, बनारस हिंदू यूनिवर्सिटी) ने बच्चों और छात्रों को संबोधित किया और बताया की कैसे समाज में लेबर एक्ट 1970 को संशोधन किया जाए, लेबर एक्ट के अंतर्गत 1- इंडस्ट्रीज़ डिस्प्यूट एक्ट 2-ट्रेड यूनियन एक्ट 3- इंडस्ट्रीज़ एम्प्लॉयमेंट एक्ट)के अंदर सभी नियम और कानून को समझा-या कि कैसे निजी सेक्टर के कर्मियों को अपने अधिकारों को समझना चाहिए और जो सरकार ने कानून बनाये है उनका ध्यान में रखते हुए वे अपनी आवाज़ को लेबर कोर्ट में उठा सकते है। और छात्रों को अपने मौलिक अधिकारों को समझाते हुए बताया कि किस तरह छात्र अपने मौलिक अधिकारों को जाने , उन्होंने बताया कि कैसे भारत का कानून हमे एक समानता से जीने का अधिकार देता है पर जो समाज के कुछ अराजक तत्व है वो इस अधिकार से समाज के लोगो को वंचित करते है , उन्होंने छात्रों को ये भी समझा-या कि छात्रों को अपनी परेशानियों का खुद ही समाधान निकालना चाहिये , और जब तक आप अपनी इच्छा शक्ति से कोई कार्य नही करते है तब तक वो कैसे आपके जीवन पर विपरीत प्रभाव डालता है , जब छात्र अपने अधिकार को जानेंगे तभी उनके जीवन में उन अधिकारों की सुरक्षा के लिए ज़िम्मेदारी का भाव उत्पन्न होगा , उन्होंने लेबर लॉ के अंतर्गत मैनेजमेंट की बारीकियों को छात्रों के समस्त प्रस्तुत किया और बताया कि कैसे हम सरकार द्वारा दिये गए अधिकारों का इस्तेमाल कर के अपनी कंपनी के अंदर हो रहे अधिकारों के हनन से बच सकते है ।कार्यक्रम के दूसरे वक्ता डॉ डी.एन.एन.एस यादव ( प्रोफेसर, लखनऊ यूनिवर्सिटी) ने महिलाओं के शशक्तिकरण, महिलाओं व पुरुषों के हक के बारे में, मौलिक अधिकारों , कॉन्ट्रैक्ट लॉ, के बारे में बात करी। सोशल मैनेजमेंट की सहायता से महिलाओं के हक के लिए कानून बनाए जा सकते हैं , उन्होंने ये भी बताया कि महिलाओं को इतना आत्मनिर्भर बनाए ताकि वर्तमान में हो रहे स्त्री पुरुष भेद भाव को समाप्त कर उन्हें बराबर हक दिया जाए। निर्भया केस के माध्यम से उन्होंने बताया कि कानून में बदलाव की जरूरत है । उन्होंने ये भी बताया कि फंडामेंटल राइट्स के नियमों के अनुसार ही उद्यमियों को कार्य करना चाहिए। सरकार कानून के नियमों के अनुसार उद्यमियों कों वित्तीय मदद तथा बैंक लोन, उपलब्ध कराती है।
वितीय आपत्ति, पूर्व में होने वाले घोटालों के कारण कुछ लोगो का फायदा हो जाता लेकिन आम जनता ,छात्रो एवं उद्यममियों को भुगतना पड़ता हैं। उन्होंने सफलता के कुछ मूल मंत्र भी बताए जिसमें उन्होंने बताया कि परिश्रम का कोई विकल्प नहीं है व बेईमानों के बीच कामयाबी भी इतिहास रचती है। बेटी पढ़ाओ बेटी बचाओ और बेटी का सम्मान करो ये शब्द आज स्टेप० एच०बी०टी आई० में आये डॉ आनंद एस० भटनागर ( फैकल्टी ऑफ लॉ सी०एस०जे० एम० कानपुर नगर) ने छात्रों को महिलाओं में बढ़ रहे बढ़ते अत्याचार की ओर छात्रों का ध्यान अग्रसारित किया , उन्होंने बताया कि कैसे महिला उत्पीडऩ (शारीरिक और मानसिक ) को कैसे कम किया जा सकता है, उन्होंने कहा कि जो छात्र ह्यूमन रिसोर्स में मैनेजमेंट कर रहे है उन्हें महिला उत्पीड़न एक्ट को बहुत अच्छे से समझना चाहिए, विश्वविद्यालय , संस्थान, इंडस्ट्री में महिलाओं के हक़ के लिए महिला उत्पीड़न कमेटी का होना बहुत ही सराहनीय है, इससे आज न केवल छात्रायें बल्कि संस्थान में सभी लोग महफूज़ एवं खुद को सुरक्षित महसूस कर रहे है । आई०पी०सी० की धारा 354 महिलाओं को ये अधिकार देता है की महिलाओं को कोई पुरूष के द्वारा गलत दृष्टि से देखना, अनवंशिक जगह छुना या गलत इशारे करना एक दण्डनीय अपराध है और इसके खिलाफ कठोर सजा का भी प्रावधान है । उन्होंने ये भी बताया कि भारतीय संविधान के तहत सभी महिलाओं को पुरुषों के इस दौरान कार्यक्रम की संयोजक प्रियंका गुप्ता व कृष्णकांत भारतीय, और डॉ आशीष त्रिवेदी, डॉ संजीव मिश्रा, डॉ.प्रभात द्विवेदी, डॉ सी. के. तिवारी, डॉ.सतीश चन्द्र ओझा, डॉ.योगेश पुरी, डॉ. सुचिता शुक्ला, स्मिता द्रोण, रिचा मिश्रा, रितु सिंह, राशी सक्सेना आदि मौजूद रहे।