जिम्मेदारों की मिली भगत से अबैध कब्जाधारी काट रहे हरे भरे पेड़ 

अबैध कब्जाधारियों भूमाफिया की लगी लाटरी तो वन विभाग कुम्भकर्णी निद्रा में लीन, वन अब विनाश की कगार पर





छुरा(अमर स्तम्भ)। एक तरफ शासन जगह जगह करोड़ो रूपया खर्च कर वन महोत्सव का आयोजन कर ग्रामीणों को प्रेरित करते रहती है।और हरियार छत्तीसगढ़ का सपना भी देखने और दिखाने का काम करती है तो दूसरी और अपने वोट बैंक की राजनीति के चलते वन अधिकार पत्र भी देने का वादा भी करती है।वहीं पर दूसरी ओर हरे भरे बेशकीमती पेड़ों को काटकर  जमीन पर अबैध कब्जाधारीं द्वारा वन कर्मियों से सांठगांठ और मिली भगत कर अबैध जमीन कब्जा करने का सिलसिला दिन व दिन बढ़ता जा रहा है।मानो अबैध कब्जाधारियों की क्षेत्र में बाढ़ सी आ गई है।फिर भी इसे रोकने वन विभाग कारगर साबित नही हो रही है। यही वजह है कि कभी वृक्षों से आच्छादित घने जंगल आज वीरान होकर मैदान में तब्दील हो रहे हैं।ज्ञात हो कि वनपरिक्षेत्र पाण्डुका अंतर्गत बीरोडार वीट के मुनारा क्रमांक 04 कक्ष क्रमांक 149 व 151में वर्षो से एक ही जगह पदस्थ

वीट गार्ड कमल नेताम से साठगांठ कर अबैध कब्जाधारियों द्वारा पहले हरे भरे वृक्षों के निचले भाग के ऊपरी सतह में मौजूद छाल वाले भाग को टांगी से थोड़ा थोड़ा गहरानुमा काटकर अलग कर दिया जा रहा है जिससे वृक्ष के ऊपरी भाग में पानी, ऑक्सीजन सहित अन्य पोषक तत्व नही जा पाता है। जिस कारण वृक्ष एक से दो माह में सूख जाता है। सूखने के बाद इसे काटकर गिरा दिया जाता है। कब्जाधारी ग्रामीणों का यह क्रम निरंतर जारी है। में इस प्रकार के दर्जनों साल व अन्य प्रजातियों के वृक्षों को सूखने के लिये छोड़ दिया गया है जबकि वन भूमि पर कब्जा जमाने के लिये ग्रामीण जुताई कर रहे हैं।वीट गार्ड कमल नेताम कुछ लोगो पर पी.ओ.आर.कर दिखाबे की कार्यवाही कर देते है किंतु जो लोग वन भूमि पर मुनारा सही अबैध कब्जा कर खेत बनाने की तैयारी में लगे है उनके साथ कमल नेताम अक्सर देखे जाते है जिससे यह स्पष्ठ होता है कि इनकी भूमिका संदिग्ध है। वनपरिक्षेत्र पाण्डुका अंतर्गत बीरोडार वीट के वन छेत्र छुरा से लगे हुये पाण्डुका वन क्षेत्र में जंहा मुनारा पर क्रमांक अस्पष्ठ है उसी मुनारा सहित खरखरा निवासी कुशल पटेल द्वारा हरे भरे पेड़ो को काटकर व गोदी खनवाकर  लगभग 10 एकड़ जमीन पर मेड बनाकर मुनारा को भी अपनी हद में कर लिया है तो बान्हि चंदन साहू द्वारा पेड़ो को काट कर 4से 5 एकड़ वन भूमि पर कब्जा कर लिया है और बीट गार्ड कमल नेताम द्वारा पीओआर काट कर दिखवा की कार्यवाही की जा चुकी है किंतु कोई ठोस कार्यवाही नही की गई है,ज्ञात हो कि वन परिक्षेत्र पाण्डुका के बेरोडार बीट में हजारों मिश्रित प्रजातियों हजारों पेड़ो की अंधाधुंद कटाई कर दी गई है। बीरोडार वीट के मुनारा क्रमांक 04 कक्ष क्रमांक 149 व 151में वन विभाग अभी तक वन भूमि पर कटे हुए सैकड़ो पेड़ होने के बाबजूद ना वीट गार्ड पहुंचे ना उनके आला अफसर इससे साफ जाहिर होता है कि बैध और अबैध पेड़ों की कटाई कर जमीन कब्जाधारी को वनविभाग ने मौन स्वकृति दे रखी है ।अब तक कोई कार्यवाही नही की जा रही है। शासन जब से वन भूमि पर काबिज आदिवासी वर्ग के लोगों को पट्टा प्रदान कर रही है तब से आदिवासी वर्ग को अधिकार दिलाने वन अधिकार पत्र की शुरुआत की गई तो अन्य वर्गो में वन भूमि पर कब्जा जमाने हरे भरे वृक्षों की अवैध कटाई करने की होड़ लगी है।अतिक्रमणकारियों द्वारा कब्जे के लिये काटे गये वृक्षों व लकड़ियां तस्करों व भठ्ठो बालो को बेचते हैं। जानकारी के अनुसार रात्रि में टेक्टर पिकअप वाहन से लकड़ी तस्करों द्वारा बेशकीमती और जलाऊ लकड़ी की तस्करी की जाती है। लेकिन राजस्व विभाग को कानों कान खबर नही होती है। वहीं कुछ मामलों में जानकारी होते हुये भी वहीं दूसरी तरफ राजस्व विभाग की कार्यवाही संदिग्ध होती है।शासन पहले वन अधिकार पत्र बाटे बो भी उस भूमि पर जिसमे कई प्रजाति के बड़े पेड़ भी थे अब उन्ही पेड़ों को बिना राजस्व की अनुमति के बेधड़क काटे जा रहे है और राजस्व विभाग कुम्भकर्णी निद्रा में लीन है।

 

यह है नियम

 

भू-राजस्व संहिता 1959 की धारा 240 के अनुसार किसी के घर, आसपास अथवा सार्वजनिक परिसर में कोई हरा पेड़ है तो उसे काटने के लिए सक्षम अधिकारी से अनुमति आवश्यक है। उल्लंघन पर भू-राजस्व संहिता 253 के तहत जुर्माने का प्रावधान है। वर्तमान में उक्त कानून में संशोधन करते हुए प्रति प्रकरण 50 हजार का जुर्माना तय किया गया है। पर्यावरण की बेहतरी की दिशा में एसडीएम कोर्ट का यह फैसला उन लोगों के लिए चेतावनी है जो आए दिन पेड़ काटने की गलती कर बड़ा जुर्म कर रहे हैं।

 

पेड़ काटना जरूरी तो लेना पड़ती है अनुमति

 

पर्यावरण हितों के लिए पेड़ काटने पर पाबंदी है। अक्सर यह देखने में आता है कि लोग यह सोचकर पेड़ काट देते हैं कि यह सार्वजनिक राह में बाधक है, अथवा प्लाट अथवा निर्माण में रोड़ा है, लेकिन ऐसी स्थिति में भी सक्षम अधिकारी से अनुमति लेना जरूरी है। जायज कारण बताने पर अधिकारी जांच के बाद पेड़ काटने की अनुमति जारी करते हैं। पेड़ काटने के एवज में फॉरेस्ट ऑफिसर संबंधित को एक तय संख्या में पेड़ लगाने के लिए बाध्य भी कर सकता है।

इस संबंध में वनपरिक्षेत्र अधिकारी सीमा केशवार से चर्चा करने उन्होंने कहा कि वन भूमि पर अबैध रूप से कब्जा नही करने दिया जायेगा मैं खुद जाकर जांच कर वैधानिक  कार्यवाही करूंगी।