न्यूनतम आय योजना ! कांग्रेस का ट्रप कार्ड






हम सरकारों का गठन क्यों करते हैं ? एक ऐसा सवाल जिस पर विचार करने की आज जरूरत है । देश के हर नागरिक को अपने भीतर इस सवाल को उठाना चाहिए ।  और समाज में इस पर बड़ा विमर्श होना चाहिए , क्योंकि आज जो हालात पैदा हो गए हैं । वहां सरकारों की जिम्मेदारी और कर्तव्य को शायद पुनर्परिभाषित करने की बड़ी आवश्यकता महसूस हो रही है, किसी देश में सरकारों का गठन वहां के नागरिकों द्वारा अपनी सुख समृद्धि के साधनों को जुटाने , अपने मौलिक अधिकारों की रक्षा एवं जीवन को सुंदर और स्वस्थ बनाने की जिम्मेदारी के दायित्व को पूरा करने के लिए किया जाता है, और यदि सरकारे ऐसा करने में अक्षम साबित होती है तो वहां के नागरिकों को यह अधिकार है । कि ऐसी सरकार को उखाड़ फेंके । और एक ऐसी नई सरकार का गठन करें । जो देश के नागरिकों के प्रति अपने कर्तव्यों का पालन करें और जन सवालों के प्रति जवाबदेह रहें ।

 लेकिन आज हालात बदले हुए हैं । सरकारों में बैठे हुए लोग जनसाधारण के प्रति अपनी जवाबदेही नहीं समझते। जनता की समस्याओं, उनके मूलभूत अधिकारों के प्रति अपनी प्रतिबद्धता नहीं दिखाते । वह देश के नागरिकों को सिर्फ मतदाता समझकर मत हासिल करने के लिए तमाम तरह के हथकंडे अपना कर उन्हें बरगला कर, गुमराह कर मत हासिल करने की जुगत में लगे रहते हैं । 

 जनहित के मुद्दे सिरे से गायब रहते हैं । भूख, गरीबी, बेरोजगारी, बीमारी, अशिक्षा और असुरक्षा के मुद्दों पर कोई भी दल चुनाव नहीं लड़ता । धनबल बाहुबल तिकड़म ताल किसी भी तरह सत्ता हासिल करना उनका मकसद बन गया है, इस बार के आम चुनाव में विपक्ष (कांग्रेस) जनता से जुड़े हुए सवालों पर गंभीर दिखाई दे रही है । 2014 के चुनाव में भी विपक्ष (भाजपा ) ने जनहित के मुद्दे पर सत्ता हासिल की थी । लेकिन सरकार गठन के बाद उसने भी तानाशाही रवैया अपना लिया । 

 आज विपक्ष (कांग्रेस) को फिर जनता की याद आई है हालांकि आजादी के बाद लंबे समय तक देश में राज भी कांग्रेस ने ही किया है ।। इस बार कांग्रेस ने 250000000 गरीबों को न्यूनतम आय योजना के अंतर्गत ₹72000 सालाना देने की घोषणा की है यह गरीबी मिटाने की ओर उठाया गया एक बड़ा कदम हो सकता है, यदि वाकई यह घोषणा ईमानदारी के साथ की गई है । तो  एक बड़ी पहल होगी न्यूनतम आय योजना की घोषणा के बाद देश के तमाम दूसरे राजनीतिक दलों में खलबली मची हुई है । इस घोषणा के बाद सारे राजनीतिक समीकरण उलट-पुलट हो सकते हैं, क्योंकि देश की एक बहुत बड़ी आबादी भुखमरी और गरीबी का शिकार है । जो हर बार चुनावी मौसम में नई सरकार से कुछ राहत मिलने की उम्मीद पालती है । लेकिन उसके दिन नहीं बदलते । सरकारें जरूर बदलती रहती हैं। आज देश की राजनीति जब जाति धर्म और साम्प्रदायिकता  जैसे मुद्दों पर जनता के बीच वोट हासिल करने की जुगत लगाकर बैठी है, तो ऐसे में न्यूनतम आय योजना की घोषणा से समूची राजनीति का प्रभावित होना तय है । क्योंकि यह एक बड़ी पहल है । अब देखना यह है कि देश के मतदाता तक यह संदेश कांग्रेस पार्टी किस तरह ले जाती है । और कितना समझाने में कामयाब होती है अगर सब कुछ ठीक रहा और आम मतदाताओं ने बिना भटके अपने हित को समझ लिया तो विपक्ष के सत्ता पक्ष बनने से कोई नहीं रोक सकता है। क्योंकि वर्तमान सरकार अपने 5 साल के कार्यकाल में किए चुनावी वादों पर गंभीर नहीं रही उनके किए गए सारे वायदे सिर्फ जुमले साबित हुए हैं । इसके अलावा वर्तमान सरकार पर भ्रष्टाचार के तमाम आरोप लगे हुए हैं । राष्ट्रीय सुरक्षा को लेकर भी व सवालों के घेरे में है । देश की सभी लोकतांत्रिक संस्थाओं द्वारा आलोचना भी झेँललं नहीं है सत्तारूढ़ दल विपक्ष के इस मास्टर स्ट्रोक को कैसे कर पाती है या तो समय बताएगा ।

  विपक्ष (कांग्रेस ) ने अपनी चाल चल दी है । राजनीतिक समीकरण तेजी से बदलने लगे हैं । यह संदेश जैसे जैसे आम मतदाता तक पहुंचा जाएगा विपक्ष उसी गति से सत्ता के करीब और करीब पहुंच जाएगा । न्यूनतम योजना की घोषणा से भाजपा के अलावा जो सबसे बड़ा नुकसान होगा वह बसपा ( मायावती ) को होगा क्योंकि भविष्य में इस योजना के लागू होने से सबसे अधिक नुकसान जिस दल को होना है वह भाजपा के परंपरागत मतदाता है । वह मायावती के हाथों से छिटककर अपने पुराने घर में वापसी कर सकता है ।

         डॉ राजेश सिंह राठौर

वरिष्ठ पत्रकार व राजनैतिक विश्लेषक