रोजगार सहायक की करतूत उजागर हितग्राही फरसाराम का स्वीकृत कूप का खनन करवाया दूसरे के बाड़ी में

फर्जी जीएसटी नम्वर के बिल से बिना सचिव के दस्खत करवा दिया लाखों रुपये का भुगतान


बिना कूप निर्माण के तकनीकी सहायक ने भी किया मूल्यांकन


ठेकेदार बना रोजगार सहायक के लिये मनरेगा योजना बना गोरख धंधा


गरियाबंद(अमर स्तम्भ)। त्रिस्तरीय पंचायत राज व्यवस्था में ग्राम पंचायतों की भांति क्षेत्र पंचायत की भी विकास कराने में अहम भूमिका होती है। क्षेत्र पंचायत में प्रति वर्ष लाखों रूपयों का बजट आता है जिससे क्षेत्र पंचायत के अंदर बड़े-बड़े कार्य कराये जाते हैं। ग्राम पंचायतों में सामाजिक अंकेक्षण से लेकर अन्य निगरानी ग्रामीण करते हैं परन्तु क्षेत्र पंचायत पर किसी का ध्यान नहीं दिया जाता है जिसका लाभ अब सरपंच,सचिव और रोजगार सहायक उठाते है।अब महात्मा गाँधी के नाम पर ग्रामीण क्षेत्रों में चलने वाली राष्ट्रीय रोजगार गारण्टी योजना भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ चुकी है। पंचायतों ने पैसा हड़पने के लिए ऐसे–ऐसे तरीके ईजाद किये हैं कि सुनने वाले भी चकित रह जाते हैं। कई पंचायतों में तो रोजगार सहायक से सरपंच,और जनपद के कुछ अफसरों–कर्मचारियों की मिली-भगत से बड़े–बड़े कारनामें को अंजाम दिया जा रहा है। ऐसे ही एक कारनामे का खुलासा आरटीआई कार्यकर्ता मनोज सिंह ठाकुर को सूचना के अधिकार में मिली जानकारी के बाद हुआ। यह कमाल गरियाबंद जिला के विकास खण्ड मैनपुर के ग्राम पंचायत गरहाडीह के आश्रित ग्राम में हुआ है, जहाँ मनरेगा के तहत हितग्राही फरसाराम पिता सोनूराम का मनरेगा के तहत स्वीकृत हुआ था किंतु रोजगार सहायक गगेस्वर की चालाकी से हितग्राही फरसाराम/सोनू राम के खेत मे कूप खनन कार्य ना करवाकर आपने हितैसी सियाराम पिता बुधु राम के बाड़ी जंहा मात्र देढ़ एकड़ भूमि हैं उसी भूमि पर कूप निर्माण करवाकर सूचना पटल पर हितग्राही फरसाराम पिता सोनू राम का नाम सूचना पटल पर अंकित कर दिया गया है।जब हमारे संवाददाता गरहाडीह के आश्रित ग्राम नयापारा पहुँचे और हितग्राही फरसाराम/सोनू राम से उनके कूप के वारे में जानकारी ली गई तो फरसाराम ने बताया कि मैने रोजगार सहायक से पूछा था किंतु रोजगार सहायक गगेस्वर ने कूप स्वीकृत होना नही बताया था और मेरे नाम का कूप दूसरे को कैसे दिया गया है और सियाराम के बाड़ी के कूप में मेरा नाम लिखा है इसकी जानकारी मुझे नही है।मैं सोच रहा था कि मेरा कूप स्वीकृत नही हुआ है।और ना ही सचिव या सरपंच द्वारा मेरे से कोई भी पंचायत प्रस्ताव में दस्खत नही है और मैने सियाराम के बाड़ी में मेरा नाम का कूप खनन करने किसी प्रकार की अनुमति या सहमति नही दिया हूँ, अब रोजगार सहायक ने इस तरह की बेईमानी कियूं किया है भगवान जाने।ज्ञात हो कि उक्त कूप खनन में भुगतान भी सरकारी खजाने से ओम शिवाय ट्रेडर्स कोकड़ी के बिल क्रमांक 135 के माध्यम से दिनांक 07-09-2018 को 95,220 रूपये का भुगतान कर दिया गया वही हितग्राही फरसाराम परेशान है अपना


मनरेगा में भ्रष्टाचार का यह अजीबोगरीब मामला सामने आया है विकास खण्ड मैनपुर क्षेत्र अंतर्गत मनरेगा के तहत हुए काम का भौतिक सत्यापन कराया जाए ताकि बड़े घोटाले का पर्दाफाश हो सके। उन्होंने इस बात की भी आशंका जताई जा रही है कि इस पूरे गोरख धंधे के पीछे सरपंच–सचिव,रोजगार सहायक के साथ ही एक पूरा संगठित गिरोह शामिल हैं।



फर्जी दुकानों व फर्जी जी एस टी नम्वर के सामग्री बिलो से हुआ लाखो का भुगतान


एक तरफ पूरे भारत मे गुड्स एंड सर्विसिज़ टैक्स या वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी अंग्रेज़ी GST) भारत में 1 जुलाई 2017 से लागू है महत्वपूर्ण अप्रत्यक्ष कर व्यवस्था है जिसे सरकार व कई अर्थशास्त्रियों द्वारा इसे स्वतंत्रता के पश्चात् सबसे बड़ा आर्थिक सुधार बताया था। इससे केन्द्र एवम् विभिन्न राज्य सरकारों द्वारा भिन्न भिन्न दरों पर लगाए जा रहे विभिन्न करों को हटाकर पूरे देश के लिए एक ही अप्रत्‍यक्ष कर प्रणाली लागू की गई जिससे भारत को एकीकृत साझा बाजार बनाने में मदद मिलेगी।लेकिन मनरेगा के रोजगार सहायक से लेकर जिला स्तर के आलाधिकारी द्वारा भी इसका तोड़ निकालकर भ्रष्टाचार करने में लगे हुये है इन अधिकारियों को पूरी तरह वर्तमान में तबादला उद्दोग के चलते राजनैतिक संरक्षण प्राप्त है। ग्राम पंचायत गहाडीह के कथित ठेकेदारों रोजगार सहायक ने भ्रष्टाचार को अंजाम देने के लिये दो कथित दुकान स्वामियों से सांठ-गांठ की। ओम नमः शिवाय ट्रेडर्स कोकड़ी एवम धोवनडीह के साधु राम नागेश जिस किसी तरह से जीएसटी नंबर नही है जिनके बिल/वाउचर/जिन्होंने रसीद बुकें छपवा लीं और धड़ल्ले से सारे कार्यों की सामग्री की खरीद पर इन्हीं के बिल/वाउचर लगाये गये है। उपरोक्त बिल वाउचरों पर आयकर/ बिक्रीकर भी अदा करना दर्शाया गया है। उपरोक्त दोनों दुकानों कोकड़ी और धोवनडीह पर होना बताया जा रहा है किंतु ये दुकाने सम्बंधित पते पर नही है न बिक्रीकर/आयकर कार्यालयों में पंजीकृत हैं। तो ऐसी स्थिति में आयकर/बिक्रीकर का बिल/वाउचरों पर कटने वाला टैक्स कहाँ जमा होता है, जांच का विषय है। विकास खण्ड मैनपुर क्षेत्र की ग्राम पंचायत गरहाडीह के रोजगार सहायक द्वारा कराए गए फरसाराम पता सोनू राम के कूप निर्माण कार्य की कहानी अत्यंत चिंताजनक है। कूप निर्माण किये बगैर ओम नमः शिवाय टेंडर्स के फर्जी बिल क्रमांक135 दिनांक 07-09-1018जिसका फर्जी जीएसटीनम्वर 22CHEPM8339R12E के बिल के माध्यम से 95,220 रुपये ऐक्सिस बैंक गरियाबंद के ओम नमः शिवाय टेंडर्स को भुगतान कर दिया गया है जबकि इस नाम से ग्राम कोकड़ी में कोई दुकान संचालित नही है।इतना ही नही उक्त बिल में सचिव का कोई हस्ताक्षर नही है सांथ ही सरपंच और रोजगार सहायक द्वारा कूप निर्माण हेतु ओम नमः शिवाय टेंडर्स को नौ बिल में 7,26057 लाख रुपया का अवैधानिक रूप से भुगतान किया गया है।सांथ ही बिना जीएसटी के साधु नागेश आर्ट ग्राम धोवनडीह (गौरगांव)बोर्ड निर्माण के 6510-6510 के आठ बिलों में 44,880 के फर्जी बिल लगाकर बड़े पैमाने पर गबन किया गया है। विकास खंड मैनपुर के तकनीकी सहायक कई वर्षों से यहां तैनात हैं जिन्हें राजनीतिक संरक्षण प्राप्त है। यह जाहिर है कि बिल-वाऊचर वगैरह फर्जी तरीके से तैयार कराने में इनकी बड़ी भूमिका है। यदि यहां ठीक से जांच कराई जाए तो और भी गम्भीर खुलासे होंगे। जनता के नाम पर आए पैसे की बेशर्मी से बंदरबांट पर अंकुश न लगा तो क्षेत्र तो पिछड़ा ही रह जाएगा और अधिकारी-कर्मचारी की मनमानी चलती रहेगी। दोषियों के खिलाफ कठोर कार्यवाही की आवश्यकता है।


यह है गरियाबंद जिला में मनरेगा का हाल


महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम (मनरेगा / MNREGA) भारत में लागू एक रोजगार गारंटी योजना है, जिसे सात सितंबर 2005 को विधान द्वारा अधिनियमित किया गया।था जो अब गरियाबंद जिला में रोजगार सहायक,सरपंच,सचिव,और मटेरियल सप्लायरों की वरदान बन कर रह गई है।विकास खंड मैनपुर में मनरेगा से सामग्री के फर्जी बिलो का भुगतान कोई नई बात नही है,इतना ही नही काँटेंजेंनसी से मोटर पल्सर कैसी गाड़ियों का भुगतान करना,और आवैधानिक बिल स्वकृत कर भृस्टाचार करना आम बात है,तो विकास खण्ड छुरा में रोजगार सहायक द्वारा टिकेश्वर वर्मा द्वारा बिना दुकान के टिन नम्वर का बिल बनाकर रेत मुरम परिवहन दरसा कर लाखों रुपये का शासन को चुना लगा चुका है जिसकी शिकायत मनरेगा आयुक्त से करने के बाद भी 2 वर्ष बीत जाने पर जांच नही नही हुई ना ही दोषियों पर कोई कार्यवाही हुई है,इसी प्रकार विकास खण्ड छुरा के ग्राम पंचायत मडेली में मनरेगा योजना से सरपंच सचिव द्वारा अपने चहेते को लाभ देने वर्ष 2018-19 में सात लाख अठावन हजार रुपये कर मुख्य मार्ग से जागने के खेत तक पहुंच मार्ग बना दिया गया जिसकी भी शिकायत जिला पंचायत सीईओ पीआर खूंटे से की गई थी किन्तु अभी तक प्रार्थीयों को जांच प्रतिवेदन नही मिला नही कोई कार्यवाही की गई,इसी तरह विकास खण्ड गरियांबन्द में मनरेगा से काँटेंजेंनसी से पेसन प्रो मोटर सायकिल के बिल पास कर शासन लाखों का चुना लागया गया है जिसकी भी जांच अधर में लटकी हुई है सारे सबूतों को रहते हुये जिला स्तर के अधिकारी जानबूझकर कार्यवाही नही करते है जिससे भ्रस्टाचार को खुला बढाबा अधिकारी ही दे रहे है। अब जिला में मनरेगा योजना का क्रियान्वयन कैसा हो रहा है, यह इस बात पर निर्भर है कि उसमें अधिकारियों की रुचि कैसी है। मगर दुर्भाग्य है कि गरियाबंद जिले में मनरेगा प्रशासनिक मिली भगत के चलते दुर्गति का शिकार हो चुकी है। ज्ञात हो कि जिले में स्कीम लागू होने के शुरुआती दौर में ग्राम पंचायत स्तर पर किए जाने वाले कार्यो के सेल्फ ऑफ प्रोजेक्ट बनाये गये। और यहीं से भ्रष्टाचार करने की शुरुआत भी हो गई। मसलन, मनरेगा के अधिनियम में स्पष्ट प्रावधान है कि गॉवों में ऐसे निर्माण कार्य ही कराये जायें, जिनमें ग्रामीणों को रोजगार उपलब्ध कराने पर 60 प्रतिशत राशि खर्च हो और कार्य में लगने वाली निर्माण सामग्री पर 40 प्रतिशत राशि लगे। कूप निर्माण में न ठेकेदार रोजगार सहायक,सचिव,सरपंच को कैसी कमाई है, यह जगजाहिर है। आशय यह कि मनरेगा की नेक मंशा में छेद कर भ्रष्टाचार की राह निकालने की शुरुआत सेल्फ ऑफ प्रोजेक्ट में कूप निर्माण जैसे कार्यो को शामिल कर हुई। भ्रष्टाचार का यह प्रशासनिक पक्ष है, जो जिला के आलाधिकारी और जनपद पंचायत मैनपुर के तत्कालीन सीईओ की संलिप्ता के बगैर संभव नहीं था। स्कीम आते ही यह बात जोरों से प्रचारित हो गई थी,भृष्टाचार और नीयत का खोट भरी उक्त चालाकियों से मीडिया में लगातार विगत वर्षों से जो खबरें सामने आई हैं, उनका सार यह है कि निगरानी की चाक-चौबंद व्यवस्थाओं के बावजूद निर्माण कार्यो की गुणवत्ता ठाक नहीं है।हैरत की बात यह कि उपरोक्त कारगुजारियॉ मनरेगा के कानून में गुणवत्ता, निगरानी और मूल्यॉंकन की चाकचौबन्द व्यवस्था किये जाने के बाद हो रही है। मसलन, योजना अन्तर्गत राज्य एवं जिला स्त्र पर क्वालिटी मानिटर्स को यह सुनिश्चित करना है कि कार्यो की गुणवत्ता निर्धरित मापदण्डों क अनुरुप नही है। योजना की निगरानी हेतु जिला, जनपद और ग्राम पंचायत स्तर पर जिम्मेदारी तय की गई है। ग्राम सभा को यह दायित्व सौंपा गया है कि ग्राम पंचायत द्वारा कराये जाने वाले कार्यो का सतत निरीक्षण करे। कराये गये कार्यो का सामाजिक अंकेक्षण करे। जनपद पंचायत का यह दायित्व है कि वह जनपद स्तरीय कार्यो का सतत निरीक्षण एवं पर्यवेक्षण करे।उल्लेखनीय है कि मनरेगा स्कीम में जिला कार्यक्रम समन्वयक तैनात किया गया है। जिन्हें जिम्मेदारी सौंपी गई है कि वे योजना के क्रियान्वयन की पाक्षिक समीक्षा करेंगे, अधीनस्थ कर्मचारियों को समुचित निर्देश देंगे। मगर उपरोक्त स्तर पर कोई भी अपनी जिम्मेदारी का निर्वाह नहीं कर रहा है बल्कि अपनी अपनी रोटी सेकने में लगे हुये है। जिस कारण गजरुरतमंद ग्रामीणों को गॉव में ही रोजगार उपलब्ध कराने की एक महत्वपूर्ण मनरेगा योजना ठेकेदार रोजगार सहायक, सरपंच ,सचिव, तकनीकी सहायक, टेंडर्स संचालकों की वरदान व भ्रष्टाचार करने का जरिया बनकर रह गई है।


क्या कहते है जिम्मेदार


रोजगार सहायक गग्गेस्वर नागवंशी से चर्चा करने पर उन्होंने कहा कि काम मे गलती होते रहती है मैने सियाराम का कूप खनन कर धर्म का काम किया है आप भी खर्चा पानी ले लो मामला रफादफा करों ।


इस सम्बंध में मुख्यकार्यपालन अधिकारी नरसिंह ध्रुव से चर्चा करने पर उन्होंने कहा है कि एक जांच टीम गठित कर तत्काल जांच करवाता हूँ।