पुनरीक्षित राष्ट्रीय क्षय रोग नियंत्रण कार्यक्रम अब हुआ राष्ट्रीय क्षय रोग उन्मूलन कार्यक्रम
कानपुर देहात(अमरस्तम्भ)। 14 जनवरी, वैश्विक लक्ष्य से पांच वर्ष 2025 तक क्षय रोग मुक्त भारत के संकल्प के प्रति दृढ़ता जताते हुए केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने इससे जुड़े कार्यक्रम के नाम में बदलाव कर दिया है। इसे पुनरीक्षित राष्ट्रीय क्षय रोग नियंत्रण कार्यक्रम (आरएनटीसीपी) के बजाय अब राष्ट्रीय क्षय रोग उन्मूलन कार्यक्रम (एनटीईपी) के नाम से जाना जाएगा।
जिला क्षय रोग अधिकारी डॉ. ज्ञानेंद्र सिंह चौहान ने बताया कि इस संबंध निजी अस्पतालों और नर्सिंग होम का नवीनीकरण करते वक्त टीबी मरीजों के नोटिफिकेशन पर भी फोकस किया जाएगा। नोटिफिकेशन के मामलों में जो लापरवाही करेगा उसका नवीनीकरण नही किया जायेगा।
उन्होंने बताया कि भारत सरकार ने लक्ष्य को हासिल करने के लिए पुनरीक्षित राष्ट्रीय क्षय रोग नियंत्रण कार्यक्रम आरएनटीसीपी के नाम में बदलाव करते हुए जनवरी 2020से इसका नाम राष्ट्रीय क्षय रोग उन्मूलन कार्यक्रम एन0 टी0 ई0 पी0 कर दिया है। जो क्षय रोग उन्मूलन की दिशा में एक मील का पत्थर साबित होगा। टीबी रोगियों को गोद लेकर इलाज डा. चौहान नें बताया कि उन्मूलन की दिशा में तेजी से कदम बढ़ाने के लिहाज से जनपद में 18 वर्ष से कम उम्र के 185 टीबी पीडि़त बच्चों को शिक्षकों और सामाजिक व व्यापारिक संगठनों द्वारा गोद लिया गया है। जिला पीपीएम समन्वयक अनुराग तिवारी ने बताया वर्तमान समय में करीब 2093 टीबी मरीजों का सरकारी व 313 मरीजों का प्राइवेट अस्पतालों में उपचार चल रहा है। निक्षय पंजीकरण के लिये आधार कार्ड, एवं खाते की पासबुक, टीबी जांच की रिपोर्ट, चिकित्सक की ओपीडी की जांच रिपोर्ट लाना आवश्यक है ताकि उपचार करने में सुविधा हो, एवम इन मरीजो को निक्ष्य पोषण योजना का लाभ दिया जा सके, निक्षय पोषण योजना के तहत टीबी के मरीजों को इलाज चलने तक प्रति माह 500 रूपये उनके खाते में डाले जाते है।