13 फरवरी तक चलेगा स्पर्श कुष्ठ जागरूकता अभियान
कानपुर देहात(अमर स्तम्भ)। महात्मा गांधी जी की पुण्य तिथि पर सीएमओ कार्यालय में गुरुवार को दो मिनट का मौन रख कुष्ठ रोग उन्मूलन दिवस मनाया गया, जिला कुष्ठ अधिकारी तथा अपर मुख्य मुख्य चिकित्सा अधिकारी  ने जिलाधिकारी की घोषणा को पढ़ा। गांधी की पुण्य तिथि पर 30 जनवरी से राष्ट्रीय कुष्ठ उन्मूलन कार्यक्रम के तहत स्पर्श कुष्ठ जागरूकता अभियान का आयोजन किया गया जो  13 फरवरी तक चलेगा। अभियान में लोगों के बीच कुष्ठ रोग को लेकर जागरूकता पैदा की जाएगी और उसके लक्षणों के बारे में बताया जाएगा, इसके लिये स्वास्थ्य कार्यकर्ता पोस्टर व पम्पलेट्स वितरित करेंगे । पम्पलेट्स पर कुष्ठ रोग के लक्षण तथा जांच व इलाज के बारे में पूरी जानकारी रहेगी, इसके साथ ही कुष्ठ रोग विभाग की टीम घर-घर जाकर लक्षणों की जांच करेगी, जिला कुष्ठ अधिकारी डाॅ फतेहबहादुर  ने बताया इस बार अभियान की थीम है कुष्ठ के विरुद्ध, आखिरी युद्ध, उन्होंने कहा कुष्ठ रोग अभिशाप नही बल्कि एक रोग है, जिसका पूरी तरह उपचार संभव है। यह रोग वंशानुगत नहीं है। यह छूआछूत से फैलने वाला रोग भी नहीं है, माइक्रो बैक्टिरियम लेप्राई और माइक्रोबैक्टेरियम लेप्रोमेटासिस जैसे जीवाणुओं की वजह से यह रोग होता है, साथ ही कहा कि यह मनुष्यों में विकलांगता का एक बड़ा कारण बन जाता है। यह रोग आंखों, हाथों तथा पैरों में विकंलागता पैदा करता है। कुष्ठ रोग की जांच जिला अस्पताल के अतिरिक्त जिले के समस्त सामुदायिक एवं प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्रों पर नि:शुल्क की जाती है। विभाग की ओर से मरीजों को स्प्लिंट, एमसीआर चप्पल भी नि:शुल्क प्रदान की जाती है, साथ ही कहा कि इसके अतिरिक्त निशुल्क आपरेशन दौरान सरकार की ओर से मरीज को 8 हजार रूपये की धनराशि प्रदान की जाती हैं। उन्होंने बताया कुष्ठ रोग उन्मूलन के लिये स्वास्थ्य कार्यकर्ता लगातार 13 फरवरी तक क्षेत्र में कार्य एवं प्रचार-प्रसार करेंगे। उन्होंने बताया 2019 में अप्रैल से अब तक 249 मरीज मिले हैं। इनका उपचार किया जा रहा है तथा 463 मरीजों का इलाज हो चुका है, डा. फतेहबहादुर ने बताया कुष्ठ रोगी का उपचार दो तरह से किया जाता है, अगर किसी रोगी के शरीर में एक से पांच चकत्ते हैं या एक नस मोटी है तो उसका छ: माह इलाज किया जाता है। अगर किसी रोगी के शरीर पर पांच से अधिक चकत्ते हैं या दो नस मोटी हैं तो 12 माह उपचार किया जाता है। दोनों प्रकार के मरीजों को पहली खुराक चिकित्सक के सामने खानी होती है। पहली खुराक खाने के उपरांत मरीज समाज में कुष्ठ रोग नहीं फैला सकता है।

 

कुष्ठ रोग के लक्षण

 

त्वचा पर हल्के लाल या तांबई रंग के दाग या धब्बे हों, त्वचा के दाग धब्बों में संवेदनहीनता, सुन्नपन हो, पैरों में अस्थिरता या झुनझुनी हो, हाथ पैर या पलकें कमजोर हों, नसों में दर्द, कान व चेहरे पर सूजन या गांठ हो। हाथ या पैरों पर घाव हों, लेकिन उनमें दर्द न हो।